Nov 6, 2023

hindi moral story | short story in hindi with moral | तीन मछलीयों की कहानी

  Introduction : -"तीन मछलीयों की कहानी "


कहानियाँ बच्चों को बहुत पसंद आती हैं क्योंकि इसमें मनोरंजन के साथ मूल्यों और महत्वपूर्ण जीवन के सिख सिखाई जाती है। बच्चों को यह कहानिया पसंद होती है क्योंकि उनमें जानवरों के चित्रों का उपयोग किया जाता है। तीन मछलीयो की कहानी भी एक पंचतंत्र कहानी है। यह तीन मछलीयो की रोचक कहानी है, जो करीबी दोस्त थे। वहां एक झील थी जहां तीन बड़ी मछलीयां रहती थी। वे अच्छे दोस्त थे, लेकिन वे चरित्र के अनुसार भिन्न थे। चलिए बच्चों के लिए "तीन मछलियो की कहानी " के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरी कहानी पढ़ते हैं ।


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"तीन मछलियों की पूरी कहानी "


पहली मछ्ली बहुत चालाक थी। वह बहुत सोचकर ही कुछ करती थी। दूसरी खुशमिजाज, संवेदनात्मक और बुद्धिमान  थी। वह समस्याओं के समाधान के लिए अपने दिमाग का उपयोग करके समाधान निकालने में बेहद अच्छी थी। आखिरी मछली किस्मत पर विश्वास करती थी। उसका मानना था कि जो कुछ घटना होने के लिए निश्चित होता है, उसमें कोई भी कुछ नहीं बदल सकता। एक दिन चालाक मछली ने मछुआरों की बातचीत सुनी कि झील में अच्छी मछलियाँ हैं और वे जल्द ही मछुआरे मछलीयो को पकड़ने के लिए आएंगे। चालक मछली ने यह जल्दी ही जाकर दोनो मछलीयों को बताया। 



चालाक मछली ने कहा,  कि हमे झील छोड़कर किसी अन्य झील में जाना चाहिए। चालक मछली नही चाहती थी कि वो मर जाएं, इतना कह कर चालाक मछली दुसरी झील मे चली गई ।  अगले दिन एक मछुआर आया और  उसने अपना जाल फेंक दिया। दोनों मछली दोस्त जाल में फंस गई ।


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मछुआरे ( fisherman )



 बुद्धिमान मछली इस समस्या का समाधान ढूंढने का तरीका सोचने लगी ।  तभी उसके दिमाग मे एक तरकीब आई । 

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मछलियां 



बुद्धिमान मछली ने मरने का नाटक किया । मछली को मरा हुआ समझ कर, मछुआरे ने उसे पानी में फेंक दिया, जबकि जो मछली भाग्य में विश्वास करती थी उसने कुछ नहीं किया, वह पानी के बाहर  आने से जाल में ही मर गयी ।

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मरी हुई मछली फेंकते हुऐ




conclusions

तीन मछलीयों की कहानी बच्चों को इस बारे में सिखाती है कि हमें अपने जीवन को बदलने के लिए प्रयास करना चाहिए और परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। न कि किसमत के भरोसे बैठे रहना चाहिए ।

FAQ

कहानी सुनाने से छोटे बच्चों को कैसे मदद मिलती है?

कहानी सुनाने से छोटे बच्चों को कई तरीकों से मदद मिलती है: 

 1. भाषा विकास: कहानियां बच्चों की भाषा और शब्दावली को विकसित करने में मदद करती हैं. वे नए शब्द सीखते हैं और अच्छे संवाद कौशल विकसित करते हैं. 

 2. सोचने की क्षमता: कहानियां विचारशक्ति और तर्क क्षमता को बढ़ावा देती हैं, क्योंकि बच्चे कहानी के प्लॉट और पात्रों के साथ जुड़ते हैं और समस्याओं का समाधान खोजते हैं. 

 3. नैतिक शिक्षा: कहानियां नैतिक मूल्यों की सीख देती हैं और बच्चों को अच्छे और बुरे कर्मों के परिणाम का ज्ञान होता है ।

रात में बच्चों को कौन-कौन सी कहानी सुननी  चाहिए ?

रात में बच्चों को सुनने के लिए किसी भी प्रकार की कहानी सुनाई जा सकती है, लेकिन यह आवश्यक है कि कहानियां उनकी उम्र और रुचि के अनुसार हों। कुछ सामान्य प्रकार की कहानियां निम्नलिखित हो सकती हैं: 

 1. पौराणिक कथाएँ: भारतीय पौराणिक कथाएँ धार्मिक और मॉरल मूल्यों का सन्देश देती हैं. 

 2. आदर्श कहानियाँ: आदर्श कहानियां नैतिक मूल्यों का सन्देश देने के लिए उपयोगी होती हैं. 

 3. जीवनी: महान व्यक्ति 

4. फेयरी टेल्स: ये फेयरी और मैजिक से भरपूर कहानियां होती हैं और बच्चों की रोमांचक इमेजिनेशन को बढ़ावा देती हैं ।

बच्चों को दिन में कितने घंटे पढ़ना चाहिए ?

बच्चों के लिए दिन में पढ़ाई की समय सीमा उनकी आयु, शैली, और शैक्षिक लक्ष्यों पर निर्भर करती है। यहां कुछ सामान्य मानक हैं: 

 1. प्रस्कूल बच्चे (2-5 वर्ष): इस आयु समूह के लिए, पढ़ाई को खेल और खेल के रूप में प्रस्तुत करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्हें दिन में कुछ घंटे खेलने और सोशल और काल्पनिक कौशल विकसित करने के लिए खर्च करना चाहिए. 

 2. प्राइमरी विद्यालय (6-11 वर्ष): इस आयु समूह के बच्चों को दिन में 2-3 घंटे अध्ययन करना चाहिए, जिसमें स्कूल के पाठ्यक्रम के अलावा समय टेबल की निर्देशिका दी जा सकती है। 

 3. माध्यमिक और उच्चतर स्कूल (12-18 वर्ष): इस आयु समूह के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन समय का ब्रेक और फिजिकल एक्टिविटी का समय भी महत्वपूर्ण होता है। बच्चों को अपने शैक्षिक लक्ष्यों के हिसाब से समय तय  करना चाहिए ।








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